निष्पादन प्रबंधन महानिदेशालय (सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर) (जिसे पहले निरीक्षण महानिदेशालय (सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क) (डी.जी.आई.सी.सी.ई.) के नाम से जाना जाता था, का गठन, 1939 में आवधिक निरीक्षण करने और सीमा शुल्क सदनों और केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालयों में संगठन के तकनीकी प्रश्नों और मानकीकरण प्रक्रियाओं पर सी.बी.आई.सी. को सलाह देने के लिए सी.बी.आई.सी. कार्यालय के एक भाग के रूप में किया गया था। इसे 1 अप्रैल, 1946 को सी.बी.आई.सी. से अलग कर दिया गया और एक सम्बद्ध कार्यालय का दर्जा दिया गया।
डी.जी.पी.एम., सी.बी.आई.सी. के अधीन सभी 18 निदेशालयों के लिए कैडर नियंत्रण प्राधिकरण है और कर सहायक, आशुलिपिक ग्रेड-I एवं II, कनिष्ठ अनुवाद अधिकारी, हवलदार, एम.टी.एस. और ड्राइवर (सामान्य ग्रेड) के ग्रेड में सीधी भर्ती एवं अपर सहायक निदेशक, निरीक्षक, प्रशासनिक अधिकारी, वरिष्ठ निजी सचिव, निजी सचिव, वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी, आशुलिपिक ग्रेड-I, कार्यकारी सहायक, कर सहायक, अवर श्रेणी लिपिक, हेड हवलदार, ड्राइवर (स्पेशल ग्रेड)/ ग्रेड-I/ ग्रेड-II के ग्रेड में पदोन्नति एवं अनुकंपा और खेल कोटा की नियुक्तियों के महत्वपूर्ण कार्यों को संभालता है।
डी.जी.पी.एम. राजभाषा [राजभाषा] के कार्यान्वयन, ई-ऑफिस कार्यान्वयन और कर बकाया वसूली (टीएआर) के लिए नोडल कार्यालय भी है।
ई-ऑफिस: ई-क्रांति के अधीन ई-ऑफिस परियोजना, जो "डिजिटल इंडिया प्रोग्राम" का 5वां स्तंभ है, 15.06.2020 को सी.बी.आई.सी. में एक महत्वाकांक्षी सुधार के रूप में प्रारंभ की गई थी, जिसका उद्देश्य प्रक्रियाओं की दक्षता और मानकीकरण लाना और भौतिक संपर्क को न्यूनतम करना था। आज की तारीख में, ई-ऑफिस, सी.बी.आई.सी. के सभी 433 कार्यालयों में सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है। डी.जी.पी.एम., ई-ऑफिस परियोजना के रखरखाव का कार्य भी देख रहा है। ई-ऑफिस से संबंधित सभी प्रकार के तकनीकी और प्रशासनिक मुद्दों का समाधान डी.जी.पी.एम. की ई-ऑफिस टीमों द्वारा किया जाता है, ताकि ई-ऑफिस का सुचारू कामकाज सुनिश्चित किया जा सके।
राज भाषा (राजभाषा): डी.जी.पी.एम., सी.बी.आई.सी. के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों और निदेशालयों में राजभाषा (राजभाषा) के कार्यान्वयन के लिए नोडल कार्यालय है।
कर बकाया वसूली (टीएआर): डी.जी.पी.एम., वित्तीय आसूचना इकाई-भारत (एफआईयू-इंडिया) के साथ डिफॉल्टरों के डेटा को साझा करने और बातचीत करने के लिए नोडल प्राधिकरण के रूप में कार्य कर रहा है। सभी क्षेत्रीय समितियों के संदर्भों पर सूचनाएं/टिप्पणियाँ उपलब्ध करने के लिए डी.जी.पी.एम. को नोडल प्राधिकारी के रूप में नामित किया गया है। डी.जी.पी.एम., एनसीएलटी के समक्ष दायर मामलों के संबंध में इनसॉल्वेनसी एवं बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) {Insolvency and Bankruptcy Code (IBC)} के अनुरूप बातचीत और डेटा साझा करने के लिए नोडल प्राधिकरण के रूप में भी कार्य करता है। इसके अलावा, सी.ई.आर.एस.ए.आई. 2.0 पोर्टल {संलग्न संपत्तियों (अचल/चल/अमूर्त) को अपलोड करने के लिए एक पोर्टल)} पर क्षेत्रीय कार्यालयों को ऑनबोर्डिंग हेतु सी.बी.आई.सी. द्वारा डी.जी.पी.एम. को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है, जिसे सिक्योरिटी के रूप में अथवा सरफेसी अधिनियम 2002 के अधीन, देय/बकायो अथवा अन्यथा के विरुद्ध अटैच किया गया है।
दो नई निष्पादन प्रबंधन प्रणालियाँ- "साधित एवं आकलन" हाल ही में सी.बी.आई.सी. के अधीन सभी कार्यालयों के लिए लॉन्च की गई हैं और इन दोनों निष्पादन प्रबंधन टूल्स के लिए ज़ोन-वार और निदेशालय-वार डेटा एकत्र करने एवं जाँच करके, सी.बी.आई.सी. को आगे प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी डी.जी.पी.एम. को सौंपी गई है। "साधित" (स्व-मूल्यांकन एवं निपटान लक्ष्य) को, मुख्य परिणाम क्षेत्रों की स्व-पहचान, प्रत्येक के.आर.ए. के लिए लक्ष्यों की स्वतः-सेटिंग और तिमाही के अंत में प्रत्येक लक्ष्य के विरुद्ध रिपोर्टिंग, की अवधारणा के आसपास डिज़ाइन किया गया है। संकलित डेटा डी.जी.पी.एम. द्वारा तिमाही आधार पर सी.बी.आई.सी. को प्रस्तुत किया जाता है।
सभी हितधारकों की बढ़ती आकांक्षाओं के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए, डी.जी.पी.एम. स्वयं पुनर्निर्माण (re-inventing) की प्रक्रिया में है: -
गुणवत्ता एवं एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एस.ओ.पी.) के मैनुअल के साथ प्रधान/मुख्य आयुक्तों (क्षेत्रीय प्रधान/मुख्य आयुक्तों के अलावा) को सी.जी.एस.टी. आयुक्तालयों और सीमा शुल्क सदनों के निरीक्षणों कार्य के प्रत्यायोजन द्वारा। सी.जी.एस.टी. और सीमा शुल्क आयुक्तालयों के निरीक्षण का कार्य डी.जी.पी.एम. द्वारा जारी एस.ओ.पी. के अनुसार दिनांक 21-03-2023 को प्रधान मुख्य आयुक्तों/मुख्य आयुक्तों को सौंपा गया है। तथापि, डी.जी.पी.एम. को क्षेत्रीय प्रधान मुख्य आयुक्तों/मुख्य आयुक्तों से प्राप्त निरीक्षण रिपोर्टों और क्लोज़र के आधार पर एक वार्षिक रिपोर्ट को संकलित करने का एवं प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत तक इसे बोर्ड को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
ओ.एस.पी.आर. (ऑपरेशनल सिस्टम परफॉर्मेंस रिव्यू) का कार्यान्वयन, जो नियमों, अधिसूचनाओं, निर्देशों, प्रक्रियाओं के साथ-साथ, प्रथाओं के रूप में परिचालन प्रणालियों की प्रभावकारिता, दक्षता, अर्थव्यवस्था और प्रभावशीलता को मापने के लिए एक मूल्यांकन तंत्र है। इसका उद्देश्य, परिचालन प्रणालियों के बारे में ज़मीनी स्तर पर मूल्यांकन, सूचना, विश्लेषण और अंतर्दृष्टि प्रदान करना और क्षेत्र-अध्ययन और डेटा विश्लेषण के आधार पर सुधार के लिए सिफारिशें करना है। ओ.एस.पी.आर., इस मूल्यांकन तंत्र को सी.बी.आई.सी. को सहायता कार्य प्रदान करने का प्रयास करता है।
किसी भी तरह के फीडबैक और सुझावों का स्वागत है। अपने फीडबैक और सुझाव dgpm-cbic@gov.in पर ई-मेल द्वारा भेज सकते हैं।